सब्जी का ठेला लगाकर की पढ़ाई और बन गया जज, पिता करते है मजदूरी

सतना मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती हैं, इस कहावत को आपने अक्सर सुनी होगी, लेकिन इसे चरितार्थ किया है मध्यप्रदेश के सतना स्थित अमरपाटन के एक बेहद गरीब परिवार के बेटे शिवाकांत कुशवाहा ने,
गरीबी ऐसी की परिवार एक वक्त का खाना भी मुश्किल से जुटा पाता था, लेकिन 9 साल पहले मर चुकी माँ का सपना था कि उसका बेटा जज बने, माँ का सपना पूरा करने में गरीबी अंडे आई तो दिन में सब्जी का ठेला लगाया और रात में पढ़ाई और इस सपूत ने अपनी माँ का सपना पूरा कर दिखाया, सब्जियों का ठेला लगाने वाले शिवाकांत ने ओबीसी वर्ग में पूरे मध्यप्रदेश मे दूसरी रैंक हासिल की है,, अब जज की कुर्सी में बैठकर न्याय करेगा।
मध्य प्रदेश सिविल जज परिणाम ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान पाने वाले सतना जिले के अमरपाटन के रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा चार बार सिविल जज की परीक्षा में बैठे हैं,, लेकिन सफलता नहीं मिली पांचवी और आखिरी बार सफलता हाथ लगी। इस बार घोषित परीक्षा परिणाम में ओबीसी वर्ग से प्रदेश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है कड़ी मेहनत, लगन, परिश्रम के बल पर शिवाकांत कुशवाहा को यह मुकाम हासिल किया है,
शिवाकांत कुशवाहा के संघर्ष की कहानी सुन हर कोई को प्रेणना ले सकता है, पिता कुंजी लाल कुशवाहा मजदूरी करके पूरे परिवार का भरण पोषण करते है, तो मां भी बेटों को पालने के लिए मजदूरी करती थी, जो 9साल पहले नही रही, तीन भाई एक बहन में शिवाकांत कुशवाहा दूसरे नंबर के है
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बचपन से ही पढ़ाई में लगन थी लेकिन घर की दयनीय स्थिति को देखते हुए पढ़ाई के साथ साथ सब्जी का ठेला लगाकर परिवार का भरण पोषण में हाथ बटाया, कभी गन्ने के जूस का ठेला लगाते तो कभी सब्जियों का,
लेकिन हार नहीं मानी और पठन पाठन करता रहा परिणाम अब सामने है. ठेला लगाकर सब्जियां बेचने वाला शिवाकांत अब न्याय के मंदिर की कुर्सी में बैठ इंसाफ करेगा, बेटे की इस सफलता पर पिता गर्व महसूस कर रहे और बेहद खुश है।
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शिवाकांत कुशवाहा प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हाई स्कूल एवं हायर सेकंडरी की परीक्षा सरदार पटेल स्कूल अमरपाटन एवं कॉलेज की पढ़ाई अमरपाटन शासकीय कॉलेज में ग्रहण की उसके बाद रीवा के ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय LLB करने के बाद कोर्ट में प्रैक्टिस के साथ-साथ सिविल जज की तैयारी करने लगे,
चार बार असफल होने के बाद भी हार नही मानी और अब पांचवी बार प्रदेश में ओबीसी वर्ग में द्वितीय स्थान प्राप्त किया अपनी मंजिल हाशिल कर ली ,शिवाकांत कुशवाहा ने इस उपलब्धि पर अपने परिवार इष्ट मित्र शुभचिंतकों का आभार जताया और अपनी संघर्ष की कहानी खुद बयां की।
बहरहाल शिवाकांत की लगन मेहनत और उसके परिवार का सपोट से जो सपने शिवाकांत ने देखे वो आज पूरे हो चुके,, शिवाकांत उन अभ्यर्थियों के लिए आदर्श होंगे जो असफलता मिलने से हार मान लेते है और आत्मघाती कदम तक उठा लेते है, शिवाकांत ने चार बार असफल हुये लेकिन हार नही मानी और आज सपनो के सौदागर बन गए।